Wednesday 22 March 2017

गीतांजली

#आईना

साहित्य उसके कालखण्ड का आईना होता है, और बदलाव का असर उस पर पड़ता है। विचारधारा, शब्दों का चयन व प्रयोग उसके आज पर निर्भर होता है।
अतः कहानी, कविता या कोई रचना उसके आज को प्रदर्शित करती है। और यदि इनमे खुलापन आ रहा है तो वो आज की मांग है । सच को वैसे ही परोसना कोई नग्नता नहीं है।
जो समाज में हो रहा है दिख रहा है भोगा जा रहा है उसको हम शब्दों के भ्रमजाल से नहीं ढक सकते है।

"कविता या साहित्य का स्तर नहीं गिरा है समाज का स्तर गिरा है"

#Geetanjali
22/3/2017

No comments: