Wednesday 1 March 2017

काश

***#काश#***

कही से पा जाऊ
संजय की आँखे,
तो रोक लू मै
हर बहते आँसू को,
पलट दू राह
आत्महत्या के लिए
जाते राही की।
दे दू निवाला एक
छोटा ही सही
भूखी सोती
उन आँखो को,
थाम लू
झूठे से ही
हर टूटती आस को
दे दू उम्मीदें
उन डूबती सांसो को।
ढाक दू
नंगे बदन को,
पकड़ लू हाथ
हर खिचते आँचल का
बचा लू
तार तार होती
इज्ज़त को

काश...
कही से पा जाऊ
संजय की आँखे
थाम लू
मानवता को
पाताल में धँसने से
पहले.....

#Geetanjali
21/2/2017

No comments: