हृदय विदारक चित्कार
आज चीर देंगी आसमान
ऐ धरा तू फट जा , नीर बहा
आँसुओ में बहती माँ की लाज बचा
मेरी कोख़ को आज तू दे दे जीवनदान
दो बूंद है मेरी जरुरत, कैसे दे दूँ
इतनी बड़ी कीमत
भटक गई हूं इस मरू में
बिखर रही है सारी आशा
बेरहम मर्दो की दुनिया में
टूट रही है मेरी काया
शतरंज पर बिछी है
बाजारों में बिक रही है
घर की लाज बेचारी
सांसे टूट रही है
आस है अब बाकि
कोई चमत्कार हो
गूंजा से मेरी कोख़ की
किलकारी
सांसो पर ममता है भारी......... Geetanjali
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